Letter to press
सेवा में,
श्रीमान् सम्पादक महोदय
दिनांक 25 दिसंबर को झारखंड के मसीहा वीर शहीद निर्मल महतो के 66वीं जयंती के अवसर पर झारखंड आदिवासी कुड़मी समाज ने तपन महतो के नेतृत्व में चमरिया गेस्ट हाउस पर स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं उलियान स्थित समाधि स्थल पर धूपबत्ती दिखाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। मौके पर केन्द्रीय संगठन सचिव प्रसेनजीत महतो काछुआर ने झारखंड अलग राज्य आंदोलन में निर्णायक भूमिका निभाने वाले निर्मल महतो को सरकारी स्तर पर अब तक शहीद का दर्जा ना दिये जाने पर गहरा खेद प्रकट किया और जल्द दर्जा देने की मांग की। साथ ही उन्होंने कहा, कि निर्मल दा ने जिस जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुति दी, आज झारखंड में उसी जल-जंगल-जमीन की लूट की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी गई है। वर्तमान स्थानीयता नीति से जहां झारखंड को चारागाह बना देने की योजना है, वहीं सीएनटी/एसपीटी एक्ट में गैरजरूरी संसोधन कर झारखंडियों को उनके रैयती जमीनों से बेदखल कर देने की सोची समझी चाल है। झारखंडियों का विकास एक्ट में संसोधन से नहीं, झारखंडी स्थानीय नीति एवं सही विस्थापन नीति, जो रैयतों को उचित मुआवजा + उपयुक्त नौकरी + वाजिब हिस्सेदारी के द्वारा ही संभव है। अगर जल्द ही सत्ता पक्ष एवं सहयोगी दल के विधायकगण स्थानीय नीति को खतियान के आधार पर संसोधन करने, सीएनटी/एसपीटी एक्ट में संसोधन रद्द करने एवं कुड़मी / कुरमी(महतो) समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने पर अपना रूख एवं नीति पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं करते हैं, तो राज्य स्तर पर झारखंड आदिवासी कुड़मी समाज उन सभी के सामाजिक एवं राजनीतिक बहिष्कार की घोषणा करेगी। मौके पर तपन महतो, गुरूपद महतो, देबू महतो, प्रसेनजीत महतो, प्रदीप महतो, प्रकाश महतो, दीपक महतो, सहदेव महतो आदि उपस्थित थे।
भवदीय :
प्रसेनजीत महतो काछुआर
केन्द्रीय संगठन सचिव, झारखंड आदिवासी कुड़मी समाज
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